पंचमेरू
जिनमें मूर्तियों के अंग उपांग साफ साफ दिखें, हस्तदंतों पर भी मूर्तियाँ हों, वे पंचमेरू ही पूज्यनीय है, उनके आकार नहीं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
जिनमें मूर्तियों के अंग उपांग साफ साफ दिखें, हस्तदंतों पर भी मूर्तियाँ हों, वे पंचमेरू ही पूज्यनीय है, उनके आकार नहीं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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पंचमेरु का मतलब सुमेरु आदि 5 मेरू ।
जिनमें मूर्तियों के अंग उपांग साफ दिखे वे ही मूर्तिर्या पूज्यनीय होती है उनके आकार से नहीं होता है।