साधु / श्रावक
परीक्षा तो दोनों की होती है,
साधु परीक्षा के लिये सदैव तैयार/इच्छुक रहता है,
श्रावक घबराता है, पर पास होने पर नाचता है, फेल होने पर रोता है ।
परीक्षा तो दोनों की होती है,
साधु परीक्षा के लिये सदैव तैयार/इच्छुक रहता है,
श्रावक घबराता है, पर पास होने पर नाचता है, फेल होने पर रोता है ।
One Response
साधु—निग़ंथ मुनि को कहते हैं उनको पांच महाव़त, पांच समिति, पांच इन्दिय-विजय एवं छह आवश्यक अस्नान, अदन्तधोवक, भूमि शयन स्थिति-भोजन, एक भक्त और अचेनाकात्व का पालन करना होता है।श्रावक को अपने धर्म का पालन करना होता है।अतः परीक्षा दोनो को देना पड़ता है. लेकिन साधु हमेशा परीक्षा के लिए सदेव तैयार रहते हैं लेकिन श्रावक हमेशा घबराता है।अतः उचित होगा कि दोनो को अपने अपने धर्म का पालन करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सके । गुरु तो ज्यादातर पालन करते हैं लेकिन श्रावक लोग हमेशा डगमाते है।