संस्कृति
विकृति को परिष्कृत करना संस्कृति है,
जैसे पत्थर से विकृति निकालने से वह भगवान बन जाता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
विकृति को परिष्कृत करना संस्कृति है,
जैसे पत्थर से विकृति निकालने से वह भगवान बन जाता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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One Response
यह कथन सत्य है कि पत्थर से विकृति निकालने से वह भगवान् बन जाते हैं अतः उसी तरह विकृति को परिष्कृत करना ही संस्कृति है।अतः जीवन में विकृतियों को निकालना परम आवश्यक है जिससे जीवन का कल्याण हो सकता है।