परिभ्रमण
ज्योतिष्क देव अढ़ाई द्वीप में ही चक्कर काटते रहते हैं (बाहर के द्वीपों में नहीं) ।
शायद मनुष्य को याद दिलाने के लिये कि तुम भी अनादि से ऐसे ही भ्रमण कर रहे हो और यदि नहीं सुधरे तो आगे भी ऐसे ही संसार में चक्कर काटते रहोगे ।
चिंतन
ज्योतिष्क देव अढ़ाई द्वीप में ही चक्कर काटते रहते हैं (बाहर के द्वीपों में नहीं) ।
शायद मनुष्य को याद दिलाने के लिये कि तुम भी अनादि से ऐसे ही भ्रमण कर रहे हो और यदि नहीं सुधरे तो आगे भी ऐसे ही संसार में चक्कर काटते रहोगे ।
चिंतन