मन

मन आत्मा का काम करने वाला यंत्र है पर आत्मा से अलग स्वभाव वाला है ।
आत्मा चेतन स्वभाव वाला है, मन पौदगलिक है इसलिये पुदगल के बारे में ही सोचता है/राग करता है ।
मन में विचार आत्मा के नहीं, जो देखा/सुना/सिखाया, वह मन में आता है ।
मन ज्ञानावरण तथा नोइद्रिंयावरण कर्मों के क्षयोपशम से आत्मा की तरह व्यवहार करता है ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Share this on...

One Response

  1. मन का मतलब नाना प्रकार के विकल्पों के जाल को कहते हैं,यह भी दो प्रकार के होते हैं द़व्य और भाव मन।
    अतः उक्त कथन सत्य है कि मन आत्मा का करने वाला यंत्र है,पर आत्मा से अलग स्वभाव वाला है। मन में विचार आत्मा के नहीं,जो देखा,सुना या सिखाया वह मन में आता है। मन ज्ञानावरण तथा नोइद़ियावरण कर्मों के क्षयोपशम से आत्मा की तरह व्यवहार करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 29, 2020

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30