विधान में अर्घ

विधान में अर्घ दूने-दूने करने के पीछे कारण ?

गुणाकार भक्ति = पहले दिन से अगले-अगले दिनों में दुगनि-दुगनी भक्ति ।
इसे गुणाकार – अर्घ कहते हैं ।

मुनि श्री सुधासागर जी

पहले ही दिन सर्वाधिक अर्घ क्यों नहीं ?

1. संसार से धीरे धीरे ही छूट पाओगे ।
2. सर्वाधिक अर्घ चढ़ा पाने के लिये, क्षमता भी धीरे-धीरे बढ़ती है ।

चिंतन

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One Response

  1. विधान के कई भेद होते हैं जैसे सिद्व चक़ आदि होते हैं अतः उक्त कथन सत्य है कि विधान में अर्घ दूने दूने करके चढाना चाहिए,इसका मुख्य कारण गुणाकार भक्ति होती है क्योंकि पहिले दिन से अगले दिनों में भक्ति दुगनी दुगनी भक्ति बढ जाती है इसे ही गुणाकार अर्घ कहते हैं।जब यह रहता है कि पहले दिन सर्वाधिक अर्घ चढ़ाने पर भक्ति की क्षमता कम हो जाती हैं। अतः विधान में नियमनुसार ही चढाना चाहिए ताकि सही भक्ति बढ़ती रहे।

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