दान

करुणा दान…संसार को सुरक्षित रखने के लिये,
सुपात्र-दान… मोक्ष-मार्ग को आरक्षित करने के लिये ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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  1. दान का का मतलब परोपकार की भावना से अपनी वस्तु का अर्पण करना होता है,यह चार प्रकार के होते हैं आहार दान, औषधि दान उपकरण या ज्ञान दान और अभय दान। दान 3 प्रकार के भी राजसिक, तामसिक और सात्त्विक। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि करुणा दान संसार को सुरक्षित रखने के लिए होता है, जबकि सुपात्र दान मोक्ष मार्ग को आरक्षित करने के लिए होता है। सुपात्र दान साधुओं के लिए दिया जाता है जिससे मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

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