प्रमाद/कषाय

प्रमाद तो थोड़े समय के लिये आता है, कषाय तो जन्मजन्मांतरों तक चल सकती है ।
(इसलिये निचले गुणस्थानों में मुख्यत: कषाय की चर्चा की, 6, 7, गुणस्थानों में प्रमत्त/अप्रमत्त की)

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. प़माद का मतलब अच्छे कार्यों के करने में आदर भाव का न होना है,संज्वलन कषाय के तीव्र उदय में होता है।
    कषाय का मतलब आत्मा में होने वाले क़ोधादि रुप कलुषता को कहते हैं, इसमें मोह माया मान और लोभ चार कषायें होती हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि प़माद तो थोड़े समय के लिए आता है लेकिन कषाय तो जन्मजन्मांतरों तक चल सकती है। अतः उक्त उदाहरण बिल्कुल सत्य है।

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