उस छवि की ही चिंता की जाती है, जिसकी छाया पड़ती है, जैसे मकान, कार, शरीर आदि ।
आत्मा की छाया पड़़ती नहीं , सो हम उसकी चिंता करते नहीं !
चिंतन
Share this on...
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य जीवन में उस छवि की चिंता करता है,जिसकी छाया पड़ती है जैसे मकान,कार, शरीर आदि। आत्मा की छाया नहीं पड़ती है, इसलिए उसकी चिंता नहीं करता है।
अतः जीवन में छवि को रखना है तो, अपनी आत्मा की पहिचान करना आवश्यक है/ जीवन में आत्माहित की सोचना आवश्यक है/ अपनी छवि को बनाना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण भी हो सके।
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य जीवन में उस छवि की चिंता करता है,जिसकी छाया पड़ती है जैसे मकान,कार, शरीर आदि। आत्मा की छाया नहीं पड़ती है, इसलिए उसकी चिंता नहीं करता है।
अतः जीवन में छवि को रखना है तो, अपनी आत्मा की पहिचान करना आवश्यक है/ जीवन में आत्माहित की सोचना आवश्यक है/ अपनी छवि को बनाना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण भी हो सके।