Category: चिंतन

आत्मा में अस्पर्शन

आत्मा में अस्पर्शन, स्पर्शन नहीं ! पर वह शरीर को स्पर्श कर रही है ? आत्मा तो स्पर्श करती है, हम उसे स्पर्श नहीं कर

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सुख

सुख चाहते हो तो सद्‌गृहस्थ बनो। सच्चा सुख चाहते हो तो साधु बनो। चिंतन

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मोह

गधे को देखा, लगातार बोझा ढो रहा था, मार भी खा रहा था। पूरा जीवन उसका ऐसे ही निकलेगा। फिर कोई पूछेगा भी नहीं। हमारी

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भात / बात

भात (भोजन) को देखभाल कर कि विषाक्त/ ज्यादा तीखा/ बदबूदार न हो, 32 बार मुँह में चबाया जाता है, तब शरीर को लाभकर होता है,

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भगवान से माँग

भगवान से बल मांगते हैं, क्या वे बल देते हैं ? कमज़ोर आदमी का स्मरण/ संगति से कमज़ोर होने लगते हैं। हनुमान भक्त युद्ध में “जय

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धर्म की इमारत

दया/ सेवा नींव है। Ritual इमारत, Spirituality शिखर। बिना नींव के इमारत बनेगी नहीं, सिर्फ नींव इमारत कहलायेगी नहीं । बिना शिखर के धार्मिक इमारत

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बदलाव

मोबाइल में ढेरों सूचनायें जमा होने पर वह काम करना बंद कर देता है, तब नया लेना बेहतर है। हमारे मन में लोगों के प्रति

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आवश्यक

“आवश्यक” भी मांगें नहीं, “आवश्यक” करें, तब “आवश्यक” मिल जाएंगे। चिंतन

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बिम्ब / प्रतिबिम्ब

तीर्थयात्रा से लौटने पर कहा गया… आपके जाने से सूना हो गया था। भगवान के जाने पर मंदिर सूने नहीं हुए। क्योंकि वहाँ भगवान के

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मंगल आशीष

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