Category: चिंतन
सिद्धि
जब तक रिसेगा* नहीं, तब तक सीझेगा** नहीं। चिंतन * धर्म आचरण में आना ** दाल पकना/ कार्य सिद्धि
बाधा
आगे बढ़ने वाला व्यक्ति किसी को बाधा नहीं पहुँचाता। आगे बढ़ने वाला तो रास्ता छोड़ता हुआ/ रास्ता बनाता हुआ/ बाधाओं को हटाता हुआ ही आगे
अभ्यास
आज कोयल की आवाज़ इस सीज़न में पहली बार सुनी। शुरु में तो अजीब सी आवाज़ आ रही थी, काफ़ी देर बाद सुरीला स्वर निकला।
अंतरंग
दाहसंस्कार के समय सिर को फोड़ा जाता है ताकि अंदर से भी पूरी तरह राख बन जाय, अधूरी रह गयी तो कितनी वीभत्स दिखेगी। जिंदा
धर्म / पुण्य / साता
धर्म साता के साथ… पुण्य + साता का बंध धर्म असाता के साथ… पुण्य + असाता का बंध अधर्म असाता के साथ… पाप + असाता
विवेक / आचरण
“जाग जाओ” यानि जाग (विवेक) + जाओ (आचरण करो, जागकर बैठे मत रहो)
दुःख
दुःख में ज्यादा दुखी होंगे तो दु:ख ज्यादा होंगे। दुःख में कम दुखी होगे तो दु:ख कम होंगे। जैसे शरीर पर से साँप निकलना दुःख
भरोसा
गृहस्थ भरोसे वाला नहीं तो बुरा। साधु भरोसे वाले नहीं तो अच्छा/ पहुँचा हुआ (कब छोड़कर चल देंगे, पता नहीं)। चिंतन
नियम
आवश्यकताओं की तरह, नियम भी 3 प्रकार के…. (1) आवश्यक…. Minimum, इतने तो होने ही चाहिये। किसी भी हालात में छोड़ना नहीं। (2) आरामदायक…. आराम
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