Category: डायरी
दुनियाँ
दुनियाँ उसको कहते भैया जो माटी का खिलौना है, मिल जाए तो माटी भैया, ना मिले तो सोना है। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी(29 अक्टूबर)
भक्ति
भक्ति में चारौ दान –> मानसिक पुष्टि (औषधि दान) तालियों से शरीर पुष्ट (आहार) परम्परा निभाई (अभय) विनती आदि (ज्ञान दान) ब्र. डॉ. नीलेश भैया
व्यक्त / अभिव्यक्त
प्रश्न यह नहीं कि आपके पास शक्ति, सामग्री, संपत्ति कितनी है ! प्रश्न है कि व्यक्ति कैसा है!! क्योंकि यह तीनों तो अधम को भी
Thinker
The Thinker* sees the invisible, feels the intangible**, and achieves the impossible. (J.L.Jain) (*जैसे भगवान/ Omniscient observer) (**जो स्पर्श से जाना न जासके/ जिसमें रस,
शिक्षा
शिष्य की शिक्षा पूर्ण होने पर गुरु ने तीन चीज़ें शिष्य को दीं… 1) दीपक… जो ख़ुद जलता है/ दूसरों को प्रकाश देता है पर
त्याग
किसी का लोटा आपके पास आने तथा मालिक के द्वारा पहचाने जाने पर लोटा लौटाना त्याग नहीं है। गरीब को लोटा देना त्याग है। क्योंकि
धर्म / धन
कठिन क्या है धर्म करना या धन कमाना ? प्राय: उत्तर मिलता है… धर्म करना कठिन है। पर कभी सोचा ! धन कमाने में कितना
हार / जीत
ब्रह्म समाज के संस्थापक श्री रामकृष्ण परमहंस से चिढ़ते थे। एक दिन बोले –> मैं तुम्हें हराने आया हूँ। श्री रामकृष्ण लेटकर बोले –> लो
संसार/ मोक्ष
ज्ञान + मोह = संसार, ज्ञान – मोह = मोक्ष। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (24 अक्टूबर)
दुःख
कुछ दुःख Unavoidable होते हैं जैसे शारीरिक अस्वस्थता, आर्थिक, सामाजिक। पर ज्यादा दुःख Avoidable/ self-created/ हमारा चयन होता है, Actual में वे दुःख होते ही
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