Category: डायरी

पति/पत्नि और धर्म

पति को वैदिक परम्परा में ‘पति-परमेश्वर’ कहते हैं। पर वह ‘परमेश्वर’ कैसे ? पत्नि जीवन काल में पति को धर्म में लगाये रखती है, उनके

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Happiness

Shakespeare – I always feel happy because I don’t expect anything from anyone. Before you Speak, Listen. Before you Write, Think. Before you Spend, Earn.

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मन / शरीर

चक्की के दो पाट, एक गतिमान दूसरा स्थिर, तभी अनाज पिसता है; दोनों गतिमान रहेंगे तो कार्य(आटा पिसना) होगा क्या ? जब मन स्थिर, शरीर

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मनुष्य

मनुष्य पर्याय इतनी देर को मिलती जैसे लम्बी अंधेरी रात में कुछ क्षणों के लिये बिजली कोंध जाती है। उतनी देर में हमें सुई में

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प्रभु भक्ति और मौत

जब मौत सबको आनी ही है तो प्रभु भक्ति का लाभ ? मौत रूपी बिल्ली के जबड़े में चूहे भी आते हैं जो तड़प-तड़प कर

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व्यक्तित्व

3 प्रकार के व्यक्तित्व – 1. भगवान दौड़ायेगा तो दौडुंगा, जो फल देगा खा लूंगा – भाग्यवादी/एकांती। 2. मैं दौडुंगा, जीतुंगा भी – पुरुषार्थवादी/ एकांती।

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अपराधी कौन ?

जब गरीब तथा अमीर नितांत अकेले पैदा व मरते हैं, कुछ लेकर नहीं आते हैं तो गरीबी/अमीरी के लिए दोषी कौन ? भगवान को दोष

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संस्कार

अनाज का अकाल होने से मानव समाप्त, संस्कार के अकाल से मानवता समाप्त। मन में संस्कार हों तब हाथ में माला ना भी हो तो

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अंतरंग / बाह्य

घड़े में पानी हो तो बाहर संकेत दिखते हैं/ स्पर्श करने पर शीतलता महसूस होगी ही। अंतरंग में गुण/ ज्ञान/ चारित्र हो तो बाह्य में

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मंगल आशीष

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