Category: चिंतन
कर्मसिद्धांत और पुनर्जन्म
जो कर्मसिद्धांत पर विश्वास करते हैं, उन्हें पुनर्जन्म पर विश्वास करना ही होगा। वरना इस जन्म के अंत समयों में किये गये कर्मों का फल
ज्ञान
एक सूर्य का प्रकाश है जो सदैव एक सा रहता है जैसे भगवान का ज्ञान। दूसरा सूर्य के आगे आये बादलों से छन कर आया
सिलसिला
रस्सी बुनने वाला ज़िंदगी भर रस्सी बुनता रहता है पर रस्सी का कभी अंत/छोर नहीं आता, क्योंकि वह लगातार जूट के टुकड़े लगाता जाता है।
कल्याणी
कल्याण की अपेक्षा, व्यक्तियों के 4 भेद होते हैं – 1. स्व-कल्याणी : जो सिर्फ अपने कल्याण की ही सोचते हैं। 2. पर-कल्याणी : जो
वृक्ष लगाना
“एक वृक्ष लगाने में 100 संतान पाने का पुण्य मिलता है”, ऐसा इसलिये कहा क्योंकि एक वृक्ष इतनी ऑक्सीजन देता है जो 100 बच्चों को
रुचि / अरुचि
डाकू से बातें कितने आदरपूर्वक, ध्यान देकर पर अरुचि से करते हैं; मित्र से रुचिपूर्वक। संसारीयों से पूरा ध्यान, आदर पूर्वक पर अंदर से अरुचिपूर्वक,
प्रार्थना / आभार
“प्रार्थना” से ज्यादा “आभार” प्रकट करना कारगर होता है। प्रार्थना में नकारात्मकता/दीनता है/ अपने व्यक्तित्व को गिराना है/ अवसर कभी-कभी आते हैं, जब आप मुसीबत
जैन दर्शन
जीने की बात आती है तो पहले ख़ुद जीने को कहा, फिर दूसरों को (जियो और जीने दो) । मरने के विषय में ख़ुद को
क्रियायें
हम बाहर की क्रियाओं को बहुत महत्त्वपूर्ण देते हैं जैसे कोयल की आवाज, हालांकि हम यह भी नहीं जानते कि वह क्यों और क्या बोल
73वाँ गणतंत्र दिवस
क्या इतने सालों में हम राजनीति/ धर्मादि के क्षेत्रों में पूर्वाग्रह की बेड़ियां तोड़ पाये हैं ? अपनी मान्यताओं को मानने की मनाही नहीं है
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