Category: चिंतन
स्वभाव/संस्कार
स्वभाव इसी जन्म में बनता है, जबकि संस्कार इस जन्म के भी हो सकते हैं और जन्मजन्मांतरों के भी । चिंतन
अतिशय
छोटा मोटा जादूगर भी अपना जादू सभ्रांत/धनाढ़्य लोगों को ही दिखाता है । तो देवकृत अतिशयों की आजकल कैसे आशा करते हैं, जबकि हमारे पुण्य
पर
अपने आपको हम आनंद में नहीं रख पाते, तब दूसरों को आनंदित कैसे कर सकते हैं । चिंतन
आनंद
पहले अनुकूल परिस्थतियों में आनंद से रहना सीखें, फिर प्रतिकूल परिस्थतियों में आनंदित रहने की आदत ड़ालें । तब आप आनंद से परमानंद की ओर
मोह/निर्मोह
मोह अपनों से कम करें, निर्मोह दूसरों से कम करें, अंत में मोह और निर्मोह दोनों को समाप्त करें । चिंतन
भौतिक आकर्षण
पतंग को इतनी ढ़ील मत दो कि वह बहुत दूर चली जाये, वापस आने में बहुत देर हो जाये, या अटक जाये/टूट जाये, और कभी
Balance
Balance बिगड़ते ही आप गिरते हैं ना ? जीवन में भी यदि हम dis-balance हो जायेंगे, जैसे सिर्फ काम ही काम करते रहें, परिवार को
परोपकार
दूसरों के दु:खों में क्यों शरीक होना चाहिये ? ताकि अपने दु:खों को सहने का अभ्यास हो जाए । चिंतन
अप्रैल फ़ूल
सबसे ज्यादा तथा सबसे बड़ा फ़ूल, कौन किसको बना रहा है ? हम अपने आप को। आत्महित की उपेक्षा करके,विषय-भोगों में जीवन बर्बाद कर रहे
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