एक भिखारी सिर्फ सिक्के उठाता था, नोट वापस कर देता था ।
सब लोगों ने खेल बना लिया, वह बड़े बड़े नोट लौटा देता था ।
खेल खेल में लोगों के खूब सिक्के चले जाते थे ।

हम भी संसार में बुद्धु बन कर खूब खो रहे हैं, अपना पैसा (मूल्यवान जीवन) और समय बर्बाद कर रहे हैं ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

आज गुरुवर का 39वाँ पावन दीक्षा-दिवस है ।

शरीर से जो भी निकलता है, वह गंदा होता है, पर दूध क्यों नहीं ?
क्योंकि दूध वात्सल्य से निकलता है ।

आर्यिका श्री सुपार्श्वमती माताजी

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

स्वतंत्रता = क्रियात्मक जीवन
परतंत्रता = प्रतिक्रियात्मक जीवन

पहले देश पराधीन था पर सोच/चेतना आज़ाद थी,
आज देश आज़ाद लेकिन सोच/चेतना पराधीन ।

आचार्य श्री विद्या सागर जी …स्वराज तो आ गया, सुराज लायें । वह आयेगा…स्वभाषा, स्वशिक्षा, स्वरोज़गार, स्वदेशी से ।

मुनि श्री प्रमाण सागर जी

अधिक प्रकाशित दीपक वाले के साथ चलने में लाभ तो है,
पर जब वह अपने रास्ते या अपनी चाल से चलकर आपसे अलग हो जायेगा तब तुम रास्ता भटक जाओगे ।
सो उसके सानिध्य में रहकर अपना दिया प्रकाशित कर लो ।
धर्म सामूहिक भी है और व्यक्तिगत भी ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

रोना हो तो घर के अंदर ही रोना ।
दरवाजा तो हँस कर ही खोलना ।
यदि सामने वाले को पता लग गया कि तुम बिखर गये हो, तो वह एक एक ईंट उठा ले जायेंगे ।

मुनि श्री अजितसागर जी

बुराई के प्रति आकर्षण होता ही नहीं है ।
जिसको बुरा सिर्फ कहा ही नहीं, मन से भी बुरा मान लिया,
जैसे कूड़ा/ज़हर, तो आकर्षण होगा !

मुनि श्री सुधासागर जी

भगवान का जन्मदिन मनाने के कई लाभ –
1. दूसरों की खुशी में शरीक होने का पुण्य ।
2. बड़े आदमी के उत्सव में शरीक होने से आपका रुतबा बढ़ता है, Return Gift भी बहुमूल्य मिलती है ।

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