कुबड़े से घ्रणा करने में बहुत दोष है, क्योंकि उसके शरीर से घ्रणा की जा रही है ।
हत्यारे से घ्रणा करने में कम दोष है, क्योंकि उसके कुकृत्य से की जा रही है ।

मुनि श्री सुधासागर जी

जो शरीर में आत्मा नहीं देख पाते, वे ही मूर्ति में भगवान नहीं देख पाते ।
और वे ही शरीर/भोगों को पुष्ट करने में लगे रहते हैं ।

निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

जलते हैं घी/बाती, नाम दीपक का क्यों ?
क्योंकि दीपक, घी/बाती को आधार देता है,
और आधार का महत्व क्रियावान से अधिक होता है ।

(भक्त, सच्चे देव,गुरु,शास्त्र के आधार से भक्ति करते हैं)

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

स्कूल में पढ़ाई, बाहर/आगे जाकर कमाई करने के लिये होती है ।
मंदिर में शिक्षा भी मंदिर के बाहर उपयोग के लिये ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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April 8, 2022

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