कुबड़े से घ्रणा करने में बहुत दोष है, क्योंकि उसके शरीर से घ्रणा की जा रही है ।
हत्यारे से घ्रणा करने में कम दोष है, क्योंकि उसके कुकृत्य से की जा रही है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
भावना भाना आवश्यक है, लाभकारक है ,
पर भावना आकुलता रहित होनी चाहिये वरना हानिकारक होगी ।
Don’t simply retire from something:
have something to retire to.
जो शरीर में आत्मा नहीं देख पाते, वे ही मूर्ति में भगवान नहीं देख पाते ।
और वे ही शरीर/भोगों को पुष्ट करने में लगे रहते हैं ।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
भीष्म की शय्या के तीर मोह के थे ।
वरना तीरों को निकाल कर न फेंक देते !
चिंतन
जलते हैं घी/बाती, नाम दीपक का क्यों ?
क्योंकि दीपक, घी/बाती को आधार देता है,
और आधार का महत्व क्रियावान से अधिक होता है ।
(भक्त, सच्चे देव,गुरु,शास्त्र के आधार से भक्ति करते हैं)
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Your chances to win a lottery get a lot better , if you buy a ticket.
(बिना efforts के स्वतंत्रता भी maintain नहीं रक्खी जा सकती,
71वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई, जयहिन्द)
स्कूल में पढ़ाई, बाहर/आगे जाकर कमाई करने के लिये होती है ।
मंदिर में शिक्षा भी मंदिर के बाहर उपयोग के लिये ।
मुनि श्री सुधासागर जी
ना मामा से, काना मामा बेहतर ।
नियम ना लेने से बेहतर है छोटा/छूट के साथ नियम लेना ।
मुनि श्री सुधा सागर जी
(श्रीमति शर्मा)
Men’s best successes come after their disappointments/ failure.
काँच का बर्तन गिरे तो चकनाचूर, स्टील का गिरे तो सिर्फ दब जाता है/टूटता नहीं है ।
कारण !
नियति प्रदत्त स्वभाव ।
चिंतन
शिक्षक वह सिखाता है, जो वह जानता है,
गुरु वह उपदेश देता है, जो वह होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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