गंध खायी नहीं जा सकती, ऐसे ही जिसकी सौगंध ली जा रही हो जैसे “भगवान की”, तो उसे भी तो खा नहीं सकते ।
अत: सौगंध नहीं खाना चाहिये ।

मुनि श्री सुधासागर जी

चिड़ियाँ अपने बच्चों को “घौंसला” नहीं देतीं,
सिर्फ ऊँचाइयाँ पाने का “हौंसला” देती हैं ।
मनुष्य सिर्फ घौंसले और घौंसले ही देते हैं ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

धार्मिक कार्यों में दान भरी ज़ेब वाले ही करते हैं,
बिना ज़ेब (साधु) वालों की प्रेरणा/अशीर्वाद से,
खाली ज़ेब वाले तो खाली (ख़राब – ख़राब) बातें ही करते हैं ।

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728