गुस्सा,नफ़रत ये सब धीमा ज़हर हैं….
इन्हें हम ख़ुद पीते हैं और सोचते हैं… मरेगा दूसरा..!

(सुरेश)

परीक्षा संसार की करो,
प्रतीक्षा परमात्मा की
और
समीक्षा अपनी करो ।

पर हम…
परीक्षा परमात्मा की करते हैं,
प्रतीक्षा सुख की
और
समीक्षा दूसरों की करते हैं !

🇮🇳 इंडिया नहीं भारत बोलों 🇮🇳

(सुरेश)

इस और अगले जन्म को सार्थक बनाना ही जीने का उद्देश्य होना चाहिये ।

आ. श्री महाप्रज्ञ जी

इस जीवन को विषय-भोगों से वंचित रख कर अगले जीवन को बनाना बुद्धमतता है ।

श्री रायचंद्र जी

भावों की शुद्धि के साथ द्रव्य (शारीरिक) शुद्ध भी बहुत महत्वपूर्ण है,
तभी तो शरीर को अपवित्र होने से बचाने के लिये पद्मिनि आदि ने आहुति दी थी और सती का दर्जा पाया ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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