ध्यान का अर्थ है…भीतर से मुस्कुराना,
और
सेवा का अर्थ है…इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना..

(सुरेश)

मुसीबतें नसैनी के टूटे डंडे जैसी होती हैं ।
जो Extra पुरुषार्थ करके चढ़ते हैं, वे जल्दी मंज़िल पर पहुँचते हैं तथा भविष्य के लिये आदत भी पड़ जाती है ।

चिंतन

नसीहत प्राय: अच्छी नहीं लगती क्योंकि उसमें कुछ छोड़ना होता है, जबकि वसीयत में मिलता है ।
जिन्होनें नसीहत सही से ली हो उन्हें वसीयत का आकर्षण नहीं रहता ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728