“भूल” और “भगवान”
मानों तो ही दिखेंगे ।
(जब मानोगे कि भगवान महावीर ने आज के दिन पावापुर से मोक्ष प्राप्त किया था)
🙏💐 अनुपम चौधरी 🤝🏻🙏
पूजा 3 प्रकार की (हर दर्शन में)…
1) आराध्य की…संकल्प सहित, अर्घ स्वाहा करके आराध्य के गुणों को लेन के भाव से ।
2) विशिष्ट अतिथि की…संकल्प/अर्घ/लेने के भाव बिना, सिर्फ देना ।
3) सांसारिक वस्तुओं की …मंगल/ शुभ भाव से, न लेना न देना।
● भरत चक्रवर्ती ने भगवान (समवसरण में) की पूजा करके, बचे तंदुलों को चक्र पर क्षेपण करके तीसरी प्रकार की पूजा की थी ।
मुनि श्री सुधा सागर जी
Jealousy is the best compliment you can receive.
बारूद को देखना भी अशुभ/ अपशगुन है ।
इसीलिए भारतीय-संकृति में स्वागत पुष्पवृष्टि से होता था,
बंदूक/ तोप चलाकर नहीं (यह तो पाश्चात्य सभ्यता है)
मुनि श्री सुधा सागर जी
जहाँ लाभ/हानि हो वहाँ तथा बुरे कामों के करने से पहले दिमाग लगाओ,
घर परिवार के और अच्छे काम दिल से करना चाहिए ।
आज में जीना बुरा नहीं,
पर आज को ही मानना बुरा है ।
चिंतन
पूजा करने वालों के आचरण नहीं आता तो पूजा का क्या फायदा ?
पूजा का तभी तक फायदा, जब तक जीवन में आचरण ना आये;
आचरण आने के बाद तो पूजा की ज़रूरत ही नहीं ।
शनि, मनी और दुश्मनी उन्हीं को प्रभावित करते हैं…
जो चिंतामणी की शरण में नहीं रहते ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
बटुआ उधारी के पैसों से भी फूल जाता है,
हालाँकि आदमी के पास भी सब कुछ उधारी का है/थोड़े समय के लिये है,
पर आदमी तो समझदार है/ निर्जीव बटुआ नहीं है,
वो पैसा आते ही क्यों फूल जाता है !
Without a rich heart,
wealth is an ugly beggar.
द्रढ़ संकल्प सच्चे लक्ष्य के प्रति होता है,
ज़िद अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए होती है,
इसीलिये कहते हैं कि ज़िद्दी रद्दी होता है ।
वक़्त का इंतज़ार करके, वक़्त बर्बाद मत करो,
वक़्त का सदुपयोग करके, अपना वक़्त सुधार लो ।
गृहस्थ का पैसा तब बहुत बुरा, जब बुरे काम में लगे,
बुरा, जब किसी भी काम में न लगे ।
ये एक ही पाप है, जो सदुपयोग के द्वारा पुण्य में बदला जा सकता है ।
ना + खून = जिसमें खून ना हो ।
डॉक्टर नाखून देखकर बीमारी का पता कर लेते हैं ।
पर तुम तो नाखून पर Nail Polish लगा आते हो, गुरु तुम्हारी बीमारी नहीं जान पाते ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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