बलिहारी गुरु बाजरा,
तेरी लम्बी पान*।
घोड़े को तो पर लगे,
बूढ़े हुए जवान।

* हाथ/ शक्ति

आचार्य श्री विद्यासागर जी

(मोटा अनाज खाने की प्रेरणा)

जहाँ दिट्ठो वहाँ पिट्ठो, यही मोक्ष को चिट्ठो।
जहाँ दृष्टि, वहाँ पीठ कर लो।
आज तो हम एक कदम मोक्ष की ओर बढ़ा रहे हैं, दो कदम संसार की ओर।

आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी (30 जुलाई 2024)

एक बुजुर्ग को गाली देने की आदत थी। इसी अवगुण से वे जाने जाते थे।
उनके बच्चों को चिंता हुई।
पिता की बदनामी को मिटाने का उन्होंने तरीका यह निकाला… वे पिता की Side में डंडा लेकर बैठ जाते और सबको डंडा मारते।
समाज कहने लगी… इन लड़कों से तो पिता ही अच्छे हैं।

ब्र.डॉ.नीलेश भैया

(दर्द मिटाने का यह भी एक तरीका है… बड़ा दर्द पैदा कर दो)

संसार में सबसे ज्यादा चर्चा किसकी सुनने का मन होता है?
स्वयं की।
तो उस शख्स से मिलने का मन नहीं करता ?
कभी उससे भी मिला करें (यदि दूसरों से फुरसत मिले तब न !)

(अनुपम चौधरी)

अमरता….
दैहिक… दीर्घ आयु, अमृत चखने से देव
जैविक… पुत्र, प्रपोत्र से
नामिक… जिनका नाम चलता रहता है
वैचारिक.. जैसे गांधीवाद, बहुत मूल्यवान
सात्विक.. सात्विकता में प्रसिद्धि

ब्र.डॉ.नीलेश भैया

रूपक…
भगवान महावीर अस्थि-गाँव (हत्यारे लोगों का) में जा कर ध्यान मग्न हो गये।
लोगों के अपशब्दों से विचलित न होने पर उनसे कहा…इतना मारेंगे कि ज़िंदगी भर याद रखोगे।
भगवान… याद रखने के अच्छे तरीके भी हो सकते हैं, जिसमें दोनों को याद रखा जायेगा। कुछ तुम अच्छा करो, कुछ मैं अच्छा करूँ।

ब्र.डॉ.नीलेश भैया

चाणक्यादि ने प्रण लेते समय चोटी में गाँठ बाँधी। द्रौपदी आदि ने चोटी खोली। उल्टी क्रियायें क्यों ?
पुरुषों की चोटी खुली रहती हैं, स्त्रियों की बंद। Unusual दिखने पर खुद को प्रण याद रहा आयेगा तथा दूसरे भी टोकते रहेंगे/ याद आता रहेगा।

चिंतन

कबाड़ी ने कबाड़ सामान खरीदते समय एक भगवान का फोटो निकाल दिया।
कारण ?
आप बड़े आदमी है, आप भगवान को बेच सकते हैं, मैं तो गरीब जादमी हूँ, भगवान को खरीदने की मेरी औकात कहाँ!!

(सुरेश)

ठंडे देश की एक चिड़िया देश छोड़ न पायी। ठंड में उसके पंख अकड़ गये, ज़मीन पर गिर गयी।
एक गाय ने उसके ऊपर गोबर कर दिया। गरमाहट से उसमें गति आ गयी और वह बोलने लगी। बिल्ली ने सुना गोबर हटाया और उसे खा गयी।
सीख –
1. तुम्हारे ऊपर हर गोबर फेंकने वाला दुश्मन नहीं होता तथा मुसीबत से निकालने वाला मित्र नहीं होता।
2. मुसीबत के समय वचनों पर नियंत्रण रखें।

(अपूर्व श्री)

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