आभूषण में सोने और खोट की पहचान करना भेद विज्ञान है। महत्व सोने का ही नहीं, खोट का भी होता है क्योंकि खोट के बिना आभूषण बन ही नहीं सकता। जैसे खलनायक के बिना नायक की पहचान नहीं।

बुद्धिमत्ता विद्वत्ता में अंतर ?

सुमन

बुद्धिमत्ता में बुद्धि की प्रमुखता, विद्वत्ता में बोधि(विवेकपूर्ण ज्ञान)की प्रमुखता रहती है।

चिंतन

जो जवान था,
वह बूढ़ा होकर,
पूरा* हो गया।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

(*सिर्फ उम्र पूरी करके पूरा होना है या गुणों से परिपूर्ण होकर पूरा होकर जाना है!- श्री कमल कांत )

शांति के लिये –>
1. अभिलाषा छोड़नी होगी।
2. समता धारण।
3. व्यापकता।
4. निस्वार्थता।
5. पारमार्थिक शांति के लिये सर्वलोकाभिलाषा का त्याग।

क्षु. श्री जिनेन्द्र वर्णी जी (शांतिपथ प्रदर्शक)

क्षमता कैसे बढ़ायें ? (युवा ने आचार्य श्री विद्यासागर जी से पूछा। उस सभा में गृहस्थ, ब्रम्हचारी तथा मुनिगण भी थे)।
सो आचार्य श्री का एक उत्तर सबके लिये होना था।
आ. श्री –>
1. लोक-संपर्क से बचो।
(युवा की पढ़ाई सही होगी, गृहस्थ के घर की बात बाहर नहीं जायेगी, व्रतियों की साधना अवरुद्ध नहीं होगी)।
2. Over Working से बचो।
3. शिथिलता लाने वाले साधनों से बचो।

मुनि श्री विनम्रसागर जी

गिलास आधा भरा है या खाली, इस विवाद में क्यों पड़ें ! आधा भरने का पुरुषार्थ क्यों न करें !!
इसे कहते हैं → Adding life to your time, वरना भगवान को कोसते ही रहेंगे।
Happiness does not happen, you have to make it happen.
जीवन का समय तो नहीं बढ़ा सकते पर बचे हुए समय में खुशियाँ/ संतोष तो भर सकते हैं न !

गौर गोपालदास जी

चावल में से कंकड़ न निकालना अज्ञान है। घातक भी हो सकता है, क्योंकि दाँत टूट सकते हैं।
गुण को उपादेय मान कर ग्रहण करो। दोष को हेय मानकर तजना होगा।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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