दो लाइनों के बीच का भाव बहुत महत्वपूर्ण होता है।
इनके बीच में ऐसे adjust हो जाओ कि लाइनों को खिसकना न पडे।
महत्वपूर्ण स्थान पालोगे।

प्रश्न – लाइनों की लिखावट अच्छी न हो / लम्बी लम्बी मात्रायें चुभ रही हों, तब कैसे adjust करें ?
उत्तर – ये लिखावट / लाइनों के बीच का कम gap ,किसकी कृति है ?
तुम्हारी न !
झेलेगा कौन ??

चिंतन

Small coffins are always heavy to carry.

(Mrs.Happy – Rajkot)

खून के नापाक ये धब्बे,खुदा से कैसे छिपाओगे ?
मासूमों की कब्र पर चढ़ कर कौनसी जन्नत जाओगे ??

( अरविंद)

आतंकवादी – मुस्लिम हो तो कुरान की आयत सुनाओ ।
यात्री ने कुछ भी सुना दिया ।
आतंकवादियों ने खुश हो कर, इनाम दे कर छोड़ दिया।

(सोमेश)

(कुरान पढ़ने/जानने वाले आतंकी नहीं होते)

श्रध्दांजली उन बच्चों के लिए जो पढ़ने गये और बेपढ़ों के हाथों शहीद हो गये।
(कट्टू)

माल जब तक दुकान में हो तब तक मोह फिर भी समझ आता है, माल बिकने के बाद मोह कैसा ?
पर हम तो जीव के जाने के बाद (दूसरी दुकान पर चले जाने के बाद) भी मोह कर रहे हैं ।

जो पाता है ,सो भाता नहीं,
जो भाता है ,सो पाता नहीं ।
इसीलिये साता नहीं ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

जब निर्जीव खरबूजा खरबूजे को देखकर रंग बदल सकता है, तो हम तो सजीव हैं तो अच्छी/बुरी संगति का असर हम पर नहीं होगा ?

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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