सत्य की माला फेरते रहने से मेरा झूठ बोलना छूट गया ।

बाई जी

कोरा ज्ञान अच्छा नहीं माना जाता ।
क्यों ?

कोरा कपड़ा नहीं पहना जाता, धुलकर ही पहनने लायक होता है ।

ज्ञान चारित्र/अनुभव से जब धुल जाता है/ परिष्कृत हो जाता है, तब उपयोगी बन जाता है ।

चिंतन

लंका विजय के बाद श्री राम सबको दो पद (राजा/मंत्री) दे रहे थे ।
हनुमान ने भी दो पद माँगे, वे पद थे – श्री राम के दो पद ।

जिसने गुरू/भगवान के दो पद पालिये, उसे संसार के सारे पद मिल जाते हैं, वह परमपद को प्राप्त कर लेता है ।

आर्यिका श्री विनतमति माताजी

हर चक्की वाला अपनी चक्की सप्ताह में एक दिन बंद रखता है, तुम अपनी चक्की हर दिन, हर समय क्यों चलाते रहते हो ?

आचार्य श्री विद्यासागर जी

आचार्य श्री विद्यासागर जी कभी भी अपने शिष्यों की गलतियों को बताते नहीं, सिर्फ इशारा कर देते हैं ।
शिष्य खुद गलती स्वीकार कर प्रायश्चित माँगें, तब देते हैं ।

वादविवाद में अटकन है/ठहराव है,
भक्ति में गति ।
जिसके प्रति भक्ति की जायेगी, गति वहीं तक होगी जैसे दुकान के प्रति तो वहाँ तक, भगवान के प्रति तो मंदिर तक, रागी के प्रति तो उस व्यक्ति तक, असीम/वीतरागता के प्रति तो मोक्ष तक ।

चिंतन

हर समय/हर बात के लिये सहारा लेने वाले जल्दी ही बेसहारा हो जाते हैं ।
जो हारा वह सहारा लेता है, दूसरों के सहारे कोई जीतता नहीं है ।
ख़ुद का सहारा लेने वालों को ख़ुदा भी सहारा देता है ।

चिंतन

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