10 kg पंख या 10 kg पीतल में से क्या ढोना पसंद करोगे ?
पीतल
क्यों ?

  • ढोने में आसानी
  • लोगों की नज़र में कम आयेगा

पाप भी पंख जैसा होता है-
ढोने में कठिन,
लोगों की नज़र से छुपाना भी कठिन ।

(तोषिता)

जिसको भी गलत तस्वीर दिखाई , उसे ही खुश रख पाया मैं ;
दर्पण दिखाने पर तो , सारे ही रुठ गये मुझसे ।

(श्री तुषार)

दर्पण अपनी ओर रखो, पीछे का भाग दूसरों की ओर ;
अपना कल्याण , दूसरे खुश ।

चिंतन

इति + हास = वह भूतकाल जो हँसी का पात्र है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

(जन्म जन्मांतरों में किया क्या है ?
जीवनों को यों ही गंवाते आये हैं ।)

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