आत्मा की आवाज पुलिस जैसी होती है,
जब तक उथल पुथल होती रहती है सुनाई नहीं देती,
शांति होने पर ही पुलिस की तरह आती है ।

श्री सुभाष (चिंतन)

पाप और पुण्य फुटबॉल के खेल की दो टीमें हैं।
कम से कम पाप के गोल पुण्य से अधिक मत होने देना,
पुण्य को जिताने में अपना पूरा पुरुषार्थ लगाये रखना।

तोषिता (चिंतन)

Touch screen के मोबाइल में एक जगह touch करो तो मित्र से connect हो जाओ ।
उसी जगह दूसरे mode में touch करो तो दुश्मन का नंबर लग सकता है ।

पुरुषार्थ बराबर, भाग्य/परिणाम अलग अलग ।

चिंतन

धार्मिक क्रियाओं के लिये धन चाहिये, धन के लिये धार्मिक क्रियायें ।
पर स्व-धर्म के लिये धन की जरूरत नहीं है ।

मुनि श्री विश्रुतसागर जी

  • शेर भी अन्याय करता है –
    दूसरों के बच्चों / कमजोरों / बूढ़ों को जिंदा खा जाता , पत्नियों को छीन लाता ,
    अपनों को प्यार करता है !!
    फिर रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है ?
    जबकि शेर को पाला जाता है ??
  • शेरों की पर्यायगत बाध्यताऐं होतीं हैं,
    पर मनुष्य को विवेक / ज्ञान मिला है,
    फिर भी जानवरों जैसे काम करे तो सज़ा भी बड़ी मिलनी चाहिए न ?

    चिंतन

  • रावण के 10 सिर, तुम्हारे कितने मुखोटे ?
    उसे अहंकारी कहा, तुम जरा से ज्ञान/पैसा आने पर कितने इतराते हो ??
    उसने दूसरे की पत्नी तो चुरायी, पर उसे हाथ नहीं लगाया,
    तुम मन/वचन/काया से कितनों के साथ व्यभिचार करते रहते हो ???

रावण तो हम सब के मन में बैठा घुट रहा है / सज़ा पा रहा है,
हमको कितनी सज़ा मिलेगी , कुछ ख्याल है ???????????

साधारण व्यक्ति जब driver seat पर बैठता है तो बहुत जिम्मेदार हो जाता है।
जैसे महात्मा गांधी
क्या हम बड़े होने के साथ साथ अपने प्रति/अपने परिवार, समाज और धर्म के प्रति driver जैसी जिम्मेदारीयाँ निभा रहे हैं ?

चिंतन

जिनमें अकेले चलने के होसले होते हैं,
उनके पीछे एक दिन क़ाफिले होते हैं।

(श्रीमती हैपी)

मोक्षमार्ग में,
क़ाफिले इसलिए चलते हैं,
क्योंकि इससे-
अकेले चलने के हौसले बनते हैं।

चिंतन

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728