आनंदमयी जीवन उन्हीं का होता है जो कर्म सिद्धांत को जीवन की व्यवस्था जानते, मानते तथा प्रयोग करते हैं ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Good days or bad days depends on your thinking.
What u call “Suffocation” in train becomes an “Atmosphere” in Disco…
माँ बच्चों को प्यार कर उन्हें संसार की सुंदरता का अहसास दिलाती है ।
पिता बच्चों को बाहर ले जाकर संसार का वास्तविक रूप दिखाते हैं ।
एक काफिला सफ़र के दौरान अँधेरी सुरंग से गुजर रहा था । उनके पैरों में कंकरियाँ चुभीं,
कुछ लोगों ने इस ख्याल से कि किसी और को ना चुभ जाये,
नेकी की खातिर उठाकर जेब में रख लीं ।
कुछ ने ज्यादा उठायीं कुछ ने कम।
जब अँधेरी सुरंग से बाहर आये तो देखा वो हीरे थे ।
जिन्होंने कम उठाये वो पछताए कि ज्यादा क्यों नहीं उठाये ।
जिन्होंने नहीं उठाए वो और पछताए ।
दुनियाँ में जिन्दगी की मिसाल इस अँधेरी सुरंग जैसी है और नेकी यहाँ कंकरियों की मानिंद है ।
इस जिंदगी में जो नेकी की वो आखिर में हीरे की तरह कीमती होगी और इन्सान तरसेगा कि और ज्यादा क्यों ना की ।
“Change the changeable, accept the unchangeable, and remove yourself from the unacceptable.” — Denis Waitley
(Mrs. Shuchi)
ऐसा नहीं है कि..
ज़िंदगी बहुत छोटी है,
दरअसल..हम जीना ही,
बहुत देर से शुरू करते हैं ।
(ब्र. संजय)
When the sound box is filled, no music can come forth.
When belly burn from fasting, every moment a new song rises out of the fire.
The mist is cleared and a new vitality emerges.
Jalaluddin Rumi
”इंसान ने वक़्त से पूछा…
“मै हार क्यूं जाता हूँ ?”
वक़्त ने कहा..
धूप हो या छाँव हो,
काली रात हो या बरसात हो,
चाहे कितने भी बुरे हालात हो,
मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,
इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,
तू भी मेरे साथ चल,
कभी नहीं हारेगा I
श्री जगजीत सिंह
व्यापार उधारी से शुरू हो सकता है पर हमेशा चल नहीं सकता/प्रगति नहीं कर सकता है ।
चिंतन
If the tongue is doing overtime, it surely means that the brain is on strike !
(Mr. Sanjay – Mumbai)
यदि अस्वस्थता की वजह से सामायिक/जाप न कर पायें तो उतने समय के लिये मौन रखलें ।
बाई जी
इंसान के अंदर जो समा जाये , वो “स्वाभिमान”
और
जो इंसान के बाहर छलक जाये , वो “अभिमान”
(ड़ॉ. अमित)
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