युद्ध में राम जाते थे तो भावना जीतने की रहती थी, हराने की नहीं ।
इसीलिये वे कर्मों को जीतकर भगवान बन गये ।
साधारण योद्धा, हराने के लिये युद्ध करता है कभी हारता है, कभी जीतता है पर मोक्ष नहीं जाता ।
चिंतन
राग सहित भक्ति, वैरागी बनाती है ।
वैरागी की भक्ति, वीतरागी ।
मुनि श्री विमर्श सागर जी
व्यवसाय में पहले पैसा लगाते हो, मेहनत करते हो, तब फायदा होता है ।
बैंक में पैसा जमा करते हो, तब व्याज मिलता है ।
बिना पुरुषार्थ किये, गुरू/भगवान की कृपा की अपेक्षा क्यों करते हो ?
चिंतन
3 ways of handling Anger-
- Forgiveness
- Suppression
- Expression
थोड़े से, क्षणिक सांसारिक सुख के बदले में अनंत/शास्वत आत्मिक सुख को छोड़े/भूले हुये हैं ।
ऐसा ही है जैसे मंज़िल के रास्ते में थोड़ी सी पेड़ की छांव के लिये मंज़िल पहुँचने का इरादा भूल गये हैं ।
चिल्लर के चक्कर में खजाना छोड़ रहे हैं ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
आचरण को आगे के कमरे में रखो,
आत्मा को पिछले कमरे में ।
दौनों को एक कमरे में रख लिया तो आत्मा रागी द्वेषी बन जायेगी ।
ब्र. नीलेश भैया
Sometimes you have to eat your words,
Chew your Ego,
Swallow your Pride,
&Accept that-You are Wrong.
It’s not Giving Up, it’s called Growing up.
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है ।
जैसी संगति वैसे बनोगे ।
मंदिर जाओगे भगवान जैसे, गुरूओं की सेवा में रहोगे त्याग/संयम के भाव बनेंगे ।
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
“मौत को तो मैंने कभी देखा नहीं,
पर वो यकीनन बहुत खूबसूरत होगी ।
कमबख्त जो भी उससे मिलता है,
जिंदगी जीना ही छोड़ देता है” ।।
The ‘Result of Anger’ is more painful than the ‘Reason of Anger’…
Never forget these words to lead a Peaceful Life…!
शुद्ध घी तो घर का ही होता है, निकालना भी आता है, पर प्रमाद और समयाभाव से बाज़ार से लेते हैं ।
गुरू महनत करके ज्ञान रूपी घी हमें देते हैं ।
पर ध्यान रहे ऐसे गुरू से मत लेना जो नकली देता हो या खुद प्रमादी हो ।
चिंतन
हमें समतल होना होगा (कमजोरियों के गड़्ड़े भरने होंगे, घमंड़ के टीले ढ़हाने होंगे) तभी समता भाव आयेगा – प्रिय/अप्रिय से, सुख दु:ख में स्थिरता रहेगी ।
ब्र. नीलेश भैया
Daily make atleast two persons happy ,
but one of them must be YOU.
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