किसी कम्पनी का मालिक आपको किसी बड़े इनाम की घोषणा करता है या आपकी पदोन्नती करता है तो उसका आदेश तो मालिक खुद नहीं निकालता बल्कि अपने किसी सेवक से दिलवाता है ।
तो हम मालिक का अहसान मानते हैं या उस सेवक का ?
ऐसे ही भगवान का अहसान मानें/उनको दिन रात याद करें/उनकी पूजा करें, उनके सेवकों की नहीं ।
चिंतन
I am responsible for what I spoke.,
but not for what you understood.
(Ms. Namita – Surat)
जो भाषा बहुत मीठी और शिष्ट होती है उसके प्रयोग करने वाले प्राय: हिंसा में विश्वास रखते हैं ।
सो प्रधानता वचन की नहीं क्रिया की होती है ।
चिंतन
Life is not about finding the right person, but creating the right relationship,
it’s not how we care in the beginning, but how much we care till ending.
( Mrs. Neelima – Mumbai)
लोभ जाग्रत कराने में आकर्षणता का भी सहयोग है । इसीलिये पहले समय में आकर्षक चीजों को ढ़ंककर सुरक्षा में रखते थे, आजकल प्रदर्शित करते हैं ।
पद्मनि का शीशे में किया गया प्रदर्शन, सबके मरने/जलने का कारण बना ।
प्रदर्शन में परिग्रह का आनंद है, जो दुर्गति का कारण भी है ।
चिंतन
सत्य की तलाश में एक ज़िज्ञासु गुरु के दरवाजे पर पहुँचा, खटखटाया ।
गुरु – कौन हो ?
शिष्य – इस प्रश्न के उत्तर की तलाश में ही तो आपके पास आया हूँ , रोजाना मंदिर जाता हूँ ।
ब्र. नीलेश भैया
Life can give us lots of beautiful persons but only one person is enough for a beautiful life.
(Ms. Namita – Surat)
सैकिंड़ की सुई – विचार
मिनिट की सुई – क्रियाऐं
घंटे की सुई – उन्नति (आत्मोन्नति)
सैल – आयु
सैल समाप्त होने से पहले आत्मोन्नति पूरी कर लो, वरना बार बार सैल बदलना पड़ेंगे/जन्म लेने पड़ेंगे ।
चिंतन
- जो बुराई में आपका साथ दे वो आपका मित्र नहीं हो सकता ।
किसी का साथ देना ही मित्रता का गुण नहीं है अपितु किसी को गलत कार्य करने से रोकना यह एक श्रेष्ठ मित्र का गुण है । - सही काम में किसी का साथ दो ना दो यह अलग बात है मगर किसी के बुरे कार्यों में साथ देना यह अवश्य गलत बात है ।
अगर आपके मित्र आपको गलत कार्यों से रोकते हैं तो समझ लेना आप दुनियाँ के खुशनसीब लोगों में से एक हैं । - मित्र का अर्थ है कि जो आपके लिए भले ही रुचिकर ना हो मगर हितकर अवश्य हो।
जिसे आपका वित्त प्यारा न हो, हित प्यारा हो समझ लेना वो आपका सच्चा मित्र है ।
(श्री अरविंद बड़जात्या)
Making everyone happy is not in our hands,
but
Being happy with everyone is in our hands.
“Live your life… love your life.”
सबसे ज्यादा संग्रह मनुष्य ही करता है,
चाहे वह चंदा हो या धन दौलत/परिग्रह ।
पाप/पुण्य का भी मनुष्य योनि में ही अधिकतम संग्रह होता है ।
ज्यादा बलवान/वैभवशाली सबसे अधिक करता है ।
चिंतन
खराब आचरण से खुद को नुकसान होता है ।
गलत ज्ञान से पूरे समाज को, क्योंकि ज्ञान दूसरों को परोसा जाता है ।
आचार्य श्री विभवसागर जी
If u fail to achieve your dreams….
Change your ways, not your principles.
As tree changes their leaves, but not roots.
(Dr. Nikita)
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