कर्म उदय आने पर हमारी सोच को प्रभावित कर देता है ।
पुण्यकर्म का उदय आने पर सोच अच्छी हो जाती है और पापोदय आने पर सोच खराब हो जाती है ।

पं. रतनलाल जी बैनाड़ा

ज़िंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं :
“सांस” और “साथ”
“सांस” टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है;
पर किसी का “साथ” टूटने से इंसान पल-पल मरता है।

(श्रीमति नीलम जैन – दिल्ली)

पटाखों से जले हुये बच्चों की सीख सुनो…
पक्षी और पशुओं की, शांति की भीख सुनो…
बंद करो धन और वातावरण की बरबादी…
अहिंसा और प्रेम की, महावीर की सीख सुनो.

दुनिया में कोई भी चीज़ अपने आपके लिए नहीं बनी है।
जैसे:
दरिया – खुद अपना पानी नहीं पीता।
पेड़ – खुद अपना फल नहीं खाते।
फूल – अपनी खुशबु अपने लिए नहीं बिखेरते।
मालूम है क्यों?
क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली ज़िंदगी है।

(श्रीमति नीलम जैन – दिल्ली)

इंसान को कभी भी घमंड़ नहीं करना चाहिये, क्योंकि शतरंज की बाजी खत्म होने के बाद राजा और मोहरे एक ही ड़िब्बे में रख दिये जाते हैं ।

(श्री दीपक जैसवाल – ग्वालियर)

छाता बारिश को तो नहीं रोक सकता, परन्तु बारिश में खड़े होने का हौसला अवश्य देता है ।
इसी प्रकार आत्मविश्वास सफलता की गारंटी तो नहीं देता, परन्तु सफलता के लिये संघर्ष करने की प्रेरणा अवश्य देता है ।

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