Sun rise everywhere but crop grows only where the farmer has worked hard.
God is everywhere but his Grace is only for one who works hard…
(Dr. Sudheer)
ज़िंदगी तो अपने कंधों पर जी जाती है,
दूसरों के कंधे पर तो जनाज़ा जाता है ।
श्री नवजोतसिंह सिद्दू
आकुलता (मन की बेचैनी) ही दु:ख है ।
आकुलता की तीव्रता ,व्याकुलता (तन की बेचैनी) है (जब सांसें भी तेज चलने लगतीं हैं) और यह महादु:ख है ।
Generally, we believe our memory is weak..
But when we want to forget someone’s mistake, we realize how powerful our memory is…!
((Mr. Sanjay)
दूसरों को खुश रखने के चक्कर में हम अपनी खुशियाँ बर्बाद कर रहे हैं ।
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
जिसे अनुभूति हो गयी वह विषयभोगों को ज़हरयुक्त दवा मानकर लेता है ,
ऐसा ज़हर जो कर्मों को निपटाने के लिये ज़रूरी है ।
“Yes” and “No” are two short words which need a long thought.
Most of the things we miss in life are due to saying “NO” too soon or “YES” too late.
(Mr. Ravikant)
मनुष्य ही क्षमा धारण कर सकते हैं, देवता भी नहीं ।
देवता तो अमृत पीकर भी ईर्ष्या करते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
बड़ी अजीब सी है मौत भी !
कभी कभी उस जगह मिल जाती है ,
जहाँ अक्सर लोग ज़िंदगी के लिये दुआ मांगते हैं !!
(ड़ॉ. निकिता)
Effort is never wasted even when it leads to disappointing results,
Because it always makes us stronger, more capable & more experienced.
(Mr. Deepak – Gwalior)
राग में पास बुलाना है, द्वेष में दूर करना है ।
इस खींचातानी में आत्मा में स्पंदन/Vibration होते रहते है, इससे कर्मबंध होता है ।
चिंतन
अपनी जितनी भावनायें हो, उतना हमें मिले ही, ऐसा नियम नहीं है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(फिर वे भावनायें संसारिक हो या पारमार्थिक, मुख्यता है – मंद कषायी होने की ।
A poor person begs outside the temple.
Whereas a rich person begs inside the temple.
Strange but true…..
(Dr. S. M. Jain)
श्रद्धा दीपक का प्रकाश है,
विवेक आँखें हैं ।
प्रकाश गड़ड़े से बचाने में सहायक होगा, पर बचायेगा विवेक ही ।
श्री रामकृष्ण परमहंस
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