गांव में रहो तो वैसी ही भाषा, वैसा ही आचरण हो जाता है, शहर की बात तो कर लेते हैं पर वैसी भाषा और आचरण नहीं कर पाते हैं ।
एक बार शहर में आ गये तब वहाँ जैसा व्यवहार आदि होने लगता है तथा गांव की याद भी नहीं आती है ।
यही संसार और वैराग्य में होता है ।
ब्र. नीलेश भैया
मोक्ष है भी या नहीं ?
संसार छोड़ दें और मोक्ष हो ही नहीं तो ?
आचार्य श्री – अमृत है या नहीं, पर क्या ज़हर खाते रहोगे ?
आचार्य श्री विद्यासागर जी
Ego is a double edged sword :
Outer edge cuts our Popularity;
While the inner edge cuts our Purity.
(Mr. Dharmendra)
हमारा अच्छा समय दुनियाँ को बताता है कि हम क्या हैं,
और बुरा समय हमें बताता है कि दुनियाँ क्या है ।
(ड़ॉ एस. एम. जैन)
जो दूसरों पर अपने विचार नहीं थोपता,
ना ही दूसरों के विचारों को अपने पर थोपने देता है ।
वह ही सुखी है।
बाई जी…चिंतन
Iron is very hard metal, but it also becomes weak when it is hot.
So always stay cool,
and happy in any situation.
You will always be strong in life.
(Dr. S. M. Jain)
प्रकृति ने गुरूत्वाकर्षण क्यों बनाया ?
ताकि हम धरती से लगे रहें ।
(घमंड़ में आसमान में ना उड़ने लगें)
ड़ॉ. पुनीत रस्तोगी
कमल खिलता है सूर्य के निमित्त से, बढ़ता है कीचड़ के निमित्त से,
वही कमल यदि धर्म रूपी ड़ंठल से अलग हो जाये तो वही सूर्य उसे सुखाने और कीचड़ उसे गलाने में निमित्त बन जाते हैं ।
आचार्य श्री विभवसागर जी
The Purpose of Life is, the Life of Purpose.
(Mrs. Apurva)
खुशियाँ बटोरते बटोरते उम्र गुजर गयी, पर खुश ना हो सके ।
एक दिन अहसास हुआ, खुश तो वो लोग हैं जो खुशियाँ बाँट रहे हैं ।
(श्री संजय)
“मृत्यु” शब्द भयभीत लोगों की ईज़ाद है ।
जब जन्म ही नहीं हुआ तो मृत्यु कैसे !!
यह तो बस यात्रा है, इसीलिये पुराने लोग मृत्यु को “गुज़र गया”, “देहांत”, “देहावसान” कहते थे ।
ब्र. नीलेश भैया
Life is like a badminton match, if you want to win…
Serve well,
return well,
play cool
and do remember that the game starts with “Love all”.
(Dr. S. M. Jain)
अधर्म = बदला लेना,
धर्म = अपने आपको बदल लेना ।
आर्यिका श्री पूर्णमती माताजी
कुल की अच्छी परम्पराओं को निभाना कुलाचरण है,
शास्त्रानुसार/गुरू/भगवान की आज्ञानुसार चलना आचरण है ।
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