All fingers are not same in length.
But when they are bent, all stand equal.
Life becomes easy when we bend and adjust to situations.
(Mr. Deepak Jaiswal – Gwalior)
सब यही कहते हैं कि वे सत्य को पसंद करते हैं,
पर असलियत यह है कि जिसे वे पसंद करते हैं, उसे ही वे सत्य कहते हैं ।
चिंतन
संसार में रहो, पर रमण करो अपने में ।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
“Helping hands” are equally important as “praying lips”.
बिना कारण पेड़ झूमते रहते हैं, चिड़ियाँ चहकती रहती हैं, तारे टिमटिमाते रहते हैं ।
हमारे पास सब कुछ होते हुए भी, हम आनंदित क्यों नहीं रह पाते ?
कमल कीचड़ में पैदा होता है, कीचड़ में बढ़ता है, पर कीचड़ से निर्लिप्त रहता है ।
हम लोग भी संसार में पैदा होते हैं, संसार में ही बड़े होते हैं पर सिर्फ ज्ञानी लोग ही संसार से निर्लिप्त रहपाते हैं ।
महात्मा गौतम बुद्ध
Lying makes a thing, problem of the future.
Truth makes a thing, problem of the past,
also
sorts out , problems of the past .
फूल की खुश्बू हवा की दिशाओं में फैलती है,
पर गुणवान के गुण/धर्म का प्रभाव विपरीत व्यक्तियों तथा परिस्थितियों को भी प्रभावित करता है ।
देशप्रेम के भाव न रखने से कर्मबंध क्यों ?
जैसे माता-पिता, धर्म, गुरू का आप पर उपकार है, ऐसे ही देश का भी है ।
यदि उपकार के बदले अपकार करेंगे तो कर्मबंध तो होगा ही ।
चिंतन
It is from one human being to another :
When I’ll be dead, your tears will flow, but I won’t know, cry for me now instead.
you will send flowers, but I won’t see ,send them now instead.
you will say words of praise, but I won’t hear, praise me now instead.
you will forget my faults, but I won’t know, forget them now instead.
you will miss me then, but I won’t feel, miss me now instead.
When I’ll be dead, you will wish you had spent more time with me, spend it now instead.
Spend time with every person you love, every one you care for !
Make them feel special for you, never know when time will take them away from you forever !!
(Mr. Sanjay)
बच्चों को मैच पर निबंध लिखने को मिला ।
आलसी बच्चा एक लाईन लिखकर आया -“बारिश की वज़ह से मैच रद्द हो गया ।”
हम भी अपने कर्तव्यों/धर्म से बचने के ऐसे ही बहाने/Short cuts तो नहीं ढ़ूंढ़ते रहते !!
मुनि श्री तरुणसागर जी
सही दिशाबोध होने पर मंज़िल अवश्य मिलती है ,
क्योंकि सही दिशा का प्रसाद ही, सही दशा का प्रसाद है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
We get lots of unconditional LOVE when we are born,
and lots of unconditional RESPECT when we DIE….
It’s the TIME in between that we have to MANAGE !!
(Dr. S. M. Jain)
यात्री ने कंड़क्टर से एक टिकट मांगते हुये, एक हजार का नोट दिया ।
कंड़क्टर – कहाँ का टिकट चाहिए ?
यात्री – तुमको हजार रूपये दिये ना !! बस एक टिकिट दे दो ज्यादा पूछताछ करने की ज़रूरत नहीं है ।
हम भी ऐसे ही पैसा/समय बर्बाद कर रहे हैं पर हमको मंज़िल का पता नहीं है ।
यदि कोई पूछता भी है तो हमें झुंझलाहट आती है, यह प्रश्न ही निरर्थक लगता है ।
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