किसी दूसरे को सुधारने के पीछे ना पड़े रहें,
अपने कर्मों के उदय के अनुसार अपने को Adjust करें ।

गुरू श्री क्षमासागर जी से पूछा – अपनी माँ को देखकर आपको राग नहीं होता ?

गुरू श्री – सब माँ, बहनों को माँ मानने लगो तो एक माँ में राग क्यों होगा !!

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

“गलती” जीवन का एक पन्ना है, पर “रिश्ता” पूरी किताब है ।
जरूरत पड़ने पर गलती का पन्ना फाड़ देना लेकिन एक पन्ने के लिये पूरी किताब मत खो देना ।

(श्री मनीष – ग्वालियर)

कोई किसी के लिये नहीं रोता ।
रोते हैं, अपने राग के कारण ।

ज्ञानी के परिवारजनों का भी विछोह होता है, वह क्यों नहीं रोता ?

क्योंकि उसके राग कम होता है ।

आचार्य श्री विशुद्धसागर जी

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