कोई किसी के लिये नहीं रोता ।
रोते हैं, अपने राग के कारण ।
ज्ञानी के परिवारजनों का भी विछोह होता है, वह क्यों नहीं रोता ?
क्योंकि उसके राग कम होता है ।
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी
मराठी में “फेल” होने को “ना पास” कहते हैं, “फेल” नहीं ।
श्री एस. के. जैन – मुम्बई
Happiness keeps you sweet,
trials make you strong,
sorrow makes you humble,
success keeps you glowing,
and God keeps you going.
(Mrs. Ekta Tripathe)
जो सफ़र की शुरूआत करते हैं, वो ही मंज़िल को पार करते हैं,
बस एक बार चलने का हौंसला तो करिये, अच्छे इंसान का तो रास्ते भी इंतज़ार करते हैं ।
(श्री संजय)
ख़ुशी के लिये कुछ करोगे, तो ख़ुशी शायद ना मिले,
लेकिन ख़ुश हो कर कुछ भी करोगे, तो ख़ुशी ज़रूर मिलेगी ।
(ड़ॉ अमित)
Start by doing what is Necessary, then what is Possible,
and Suddenly you will find you are doing Impossible.
(Mr. Pranjal)
अच्छी चीज़ पर भी अड़ना नहीं चाहिये ।
क्यों नहीं ?
यदि अड़ गये तो उससे भी अच्छी चीज़ कैसे मिलेगी !!
हमेशा ऊपर जाने के दरवाजे खुले रखें ।
वर्तमान कितना भी अच्छा क्यों ना हो, ऊपर उठने की संभावनायें बहुत रहती हैं, पर अड़ियल की प्रगति बंद हो जाती है ।
ड़ॉ. एस. एम. जैन
हमारे जीवन में ख़राब समय आता क्यों है ?
क्योंकि हम समय ख़राब करते रहते हैं ।
आत्मकल्याण के लिये जो समय मिला था, उसे विषयभोगों में बर्बाद करते रहते हैं ।
चिंतन
Whatever you Give to others, will come back to you in multiples..
You can’t stop what is coming back, but you can always choose what to Give.
(Sri Sanjay)
क्या बीमार आदमी को झोंपड़ी से निकालकर महल में लाने से, वह निरोगी हो जायेगा ?
क्या कांच को सोने की अगूँठी में जड़वाने से, वह हीरा बन जायेगा ?
जब तक अंदर की कलुषता नहीं जायेगी, शांति आ नहीं सकती ।
कला जानना एक बात है, रसिक होना और बात है ।
बांसुरी सुनकर मूर्ख भी दिखाता है कि उसे आनंद आ रहा है, पर असली में आनंद का अनुभव मृग ही लेता है ।
Life itself can not give you anything unless you really work for it…
Life just give you time and space,
it’s up to you to fill it as much as possible.
(Dr Sudheer)
जब जब भोजन की याद आये, कम से कम तब तब तो भजन की याद करें ।
मुनि श्री सुधासागर जी
किसी धर्मशाला में आप रहें, ना रहें या कितने समय रहें; इसमें दुखी होने की आवश्यकता नहीं है ।
मरण में धर्मशाला ही तो छोड़नी है ।
चिंतन
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