जितनी उपेक्षा करोगे उतनी सुख,शांति पाओगे ।
इसका अर्थ यह नहीं कि घर वालों से संबंध ही छोड़ दें, उनसे बस मोह कम कर दें/ उनसे मूर्च्छा न रखें ।
क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी जी
मुस्कराहट वो हीरा है, जिसे आप बिना खरीदे पहन सकते हैं,
और जब तक ये हीरा आपके पास है, आपको सुंदर दिखने के लिये किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है ।
(श्रीमति रिंकी)
A soft nature of a person doesn’t imply his weakness..
Remember nothing is softer than water,
But it’s force can break the strength of rocks…
(Dr. S. M.Jain)
जीवन मज़े के लिये नहीं, कर्तव्य पूरे करने के लिये है ।
यह दूसरी बात है कि कर्तव्य पूरे करने वाले को ही असली मज़े आते हैं ।
चिंतन
वर्तमान मे जीना ही समझो “मन का स्थिर होना है” ।
आचार्य कहते हैं… सारी योजनायें छोड़ दो, मात्र वर्तमान का अनुभव करो ।
जो वर्तमान का उपयोग करेगा, वह अवश्य ही आगे चलकर वर्धमान बनेगा ।
(श्री संजय)
If you do not know,
ask me.
If you do not agree,
argue with me.
But do not start judging me silently.
(Mr.Dharmendra)
अपनी प्रसिद्धि पाने के लिये, भूतकाल के लोगों का जीवन चारित्र पढ़ें,
वर्तमान के लोगों के साथ सत्संग करें, आप भविष्य के प्रसिद्धि बन जायेंगे ।
ढ़ाई वर्षीय तनुशा बड़ों के साथ बैठी थी । उसके छोटे नाना धार्मिक चर्चा कर रहे थे । तनु बोर हो रही थी । बड़ों ने उसे देखा और कहा – अब तुम्हारा नम्बर है, कहानी सुनाओ ।
तनु ने कहानी में छोटे नाना को Crocodile से मरवा दिया ।
उसकी झूठ-मूठ की चाय, झूठे झूलों की Rides में सुख था, धर्म चर्चा में नहीं ।
हम बड़े भी तो झूठी चीजों में ही सुख मान रहे हैं – पैसे में, Power, रूप आदि में ।
चिंतन
Honest people alter their Ideas to fit the Truth…
and Dishonest people alter the truth to fit their Ideas.
(Mrs. Apurva)
जब भी चिड़िया बनाती है अपना घोंसला,
उसके मन में रहता है बहुत हौसला ।
ऊँचाईओं का ड़र नहीं होता उसे,
क्योंकि अंज़ाम से ज्यादा मज़बूत होता है फैसला ।।
(श्री मनीष – ग्वालियर)
अर्थी का अर्थ है – जिसका रथ समाप्त हो गया हो, ऐसा रथी ।
(तभी तो बिना रथ के यात्रा निकल रही है )
(श्रीमति दर्शन)
God has deposited Love, Joy, Prosperity, Peace, Laughter & all kinds of Blessings in your ATM account ,
use without Limit.
The PIN Code is PRAYER.
(Mr. Sanjay)
शव यात्रा चाहते हो या शिव यात्रा ?
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी
अच्छे विचार, अच्छे चिंतन को जन्म देते हैं ।
अच्छे चिंतन, अच्छे संस्कार का निर्माण करते हैं ।
अच्छे संस्कार, अच्छा चारित्र गढ़ते हैं ।
और अच्छा चारित्र ही निर्वाण /मोक्ष ले जाता है ।
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