Many problems in life get automatically sorted,
when you decide, not to give importance to them in life.
(Mr. Arvind Barjatya)
संस्कृति वह है जो संस्कारित करे ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
ज्ञान के पीछे नहीं भागना चाहिये, स्थिर ज्ञान ही ध्यान है ।
ज्ञान महत्वपूर्ण नहीं है, मन की स्थिरता महत्वपूर्ण है ।
(श्री संजय)
When a person hurts you,
you should try to understand his situation rather than hurting him back.
(Mr. Dharmendra)
दु:ख छोड़ना आसान है,
सुख छोड़ना कठिन ।
ठंड़ से घबराकर कमरे में आना आसान,
ठंड़ में कमरे से बाहर जाना कठिन ।
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी
हमेशा सब की ज़रूरत रखो,
पर कभी किसी की कमी नहीं।
क्योंकि..
ज़रूरत तो कोई भी पूरी कर सकता है,
पर कमी कोई पूरी नहीं कर सकता।
If you laugh loud,
talk spontaneously,
do not care what your face looks like.
Then you are in the best company.
(Dr.P.N.Jain)
हमें उस ईश्वर का हर वक्त शुक्रिया करते रहना चाहिये, जो बर्दाश्त से ज़्यादा दुख तो नहीं देता, मगर उम्मीद से ज़्यादा सुख ज़रूर देता है ।
चिंतन
अपनों के साथ ऐसी बहस मत करो कि, बहस जीत जाओ और अपनों को हार जाओ ।
(श्री श्रेयांस भैया)
When we don’t understand the lessons at the right time,
Life makes us understand the same lessons at a wrong time.
(Mr. Arvind)
अच्छे वक्त की एक बुराई होती है, कि वो एक दिन चला जाता है ;
और बुरे वक्त की एक अच्छाई होती है, कि वो ज्यादा देर तक नहीं रहता ।
(श्री धर्मेंद्र)
हम लक्ष्मी के स्वागत में सजावट करते हैं/दीप जलाते हैं/पटाखे चलाते हैं(पर भूल जाते हैं-प्रदूषण को,अहिंसा को)
दीपावली दो महान कार्यों के लिये मनायी जाती है-
1) महावीर भगवान ने सबसे बड़ा वैभव (समवसरण)छोड़ा।
2) श्री राम ने लंका जीत कर वहाँ का राज्य छोड़ा।
याने-हम लक्ष्मी को बुलाते हैं ताकि हमारा संसार बढ़े,
पर हमारे भगवानों ने लक्ष्मी को छोड़ा और पाया मोक्ष-लक्ष्मी को।
आप क्या चाहते हो?
संसार या संसार से मुक्ति??
चिंतन
When mind is weak, situation is a problem.
When mind is balanced,situation is challenge.
When mind is strong, situation is an opportunity.
(Dr. S. M. Jain)
धनतेरस को जैन आगम में धन्य-तेरस या ध्यान-तेरस भी कहते हैं ।
भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये ।
तभी से यह दिन धन्य-तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी/पं. रतनलाल बैनाडा जी
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