शब्द पर अटकने के बजाय, उसके आशय पर जाओ ।
शब्द में इतनी सामर्थ कहाँ कि शब्द के आशय का पूर्ण बखान कर सके ।

नय दर्पण – क्षु. श्री जिनेंद्र वर्णी जी

लफ़्ज़ ही एक ऐसी चीज़ है, जिसकी वज़ह से या तो इंसान दिल में उतर जाता है, या दिल से उतर जाता है ।
अगर हमारे अल्फ़ाज़ों से कभी कोई दुखी हुआ हो तो उत्तम क्षमा ।

श्री संदीप, मनीषा, मिलि,

हमने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बड़ी धूमधाम से पर्युषण महापर्व मनाया और उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य धर्मों को अपने जीवन में यथाशक्ति अंगीकार किया, क्यों न अगले 365 दिन भी हम यथाशक्ति 10 धर्मों के साथ जीवन जियें और इस तरह जीवन व्यतीत करते हुये जीवन के अंत समय में समाधिमरण पूर्वक इस नश्वर देह का त्याग करें ।

श्री संजय

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