भ्रम के चार प्रसंग –

1. अहंकार
2. ममकार
3. करतत्व
4. भोगत्व

आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी

शब्द पर अटकने के बजाय, उसके आशय पर जाओ ।
शब्द में इतनी सामर्थ कहाँ कि शब्द के आशय का पूर्ण बखान कर सके ।

नय दर्पण – क्षु. श्री जिनेंद्र वर्णी जी

लफ़्ज़ ही एक ऐसी चीज़ है, जिसकी वज़ह से या तो इंसान दिल में उतर जाता है, या दिल से उतर जाता है ।
अगर हमारे अल्फ़ाज़ों से कभी कोई दुखी हुआ हो तो उत्तम क्षमा ।

श्री संदीप, मनीषा, मिलि,

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