चोट लगने के बाद खुरंट (समय का) बनना शुरू हो जाता है ।
यदि चोट को बार बार सहलाते रहें/खुजाते रहें तो वह चोट नासूर बन सकती है ।
श्री के. के. जैसवाल
गुरू Coach हैं !
हो सकता है सचिन तेंदुलकर के Coach, खुद बहुत कम रन बना पाते हों, पर सचिन तेंदुलकर को शतक पर शतक बनाने की कला सिखा रहे हैं ।
ड़ा एस. एम. जैन
We will definitely succeed in our life,
If we follow all the advice, that we give to others.
(Dr. Sudheer)
Exam के बाद की आज़ादी/सुकुन की स्थिति ।
श्री रविशंकर जी
धर्म की कुछ बातों पर विश्वास नहीं होता !
Homoeopathy पर जो लोग विश्वास नहीं करते वे भी दवा तो लेते हैं और रोग भी दूर होता है ।
दवा लेते रहें तो विश्वास भी आने लगेगा ।
जब विश्वास हो जायेगा तो रोग में फायदा भी ज्यादा होगा ।
चिंतन
As a rule.
man is fool..
When it’s hot.
He wants cool..
When it’s cool.
He wants hot..
Always wanting what is not.
(Mr. Pranjal)
संसार को अपना मानना चोट्टापन ही तो है ।
जो अपना नहीं है, उसे अपना मानना चोरी ही तो है ।
क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी जी
रेडियो पर धार्मिक चर्चा सुनते सुनते यदि असावधानीवश सुई जरा सी हिल गयी तो Disturbance आने लगता है ।
धार्मिक क्रियायें करते समय जरा सी असावधानी हुई तो सुई हिलकर संसार के कार्यक्रम पर चली जायेगी ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
Our life is designed by three designers –
Circumstances,
Coincidences
& You
Anyone can become the chief designer at any particular time.
(Mr. Dharmendra)
पाप का बंध क्रियायें करने से ही नहीं, कभी कभी क्रियायें न करने से भी हो जाता है,
जैसे किसी असहाय की सहायता न करना ।
चिंतन
तप करता शरीर है, पर बिना मन के नहीं होता है और मन की शुद्धि के लिये ही तप किया जाता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
If you want to gain knowledge,
Add something everyday to your brain.
But….
If you want to gain wisdom,
Remove something everyday from your mind.
एक कौवा हर समय कांव कांव करता रहता था ।
राजा ने उसे पकड़वाकर कीचड़ में फिकवा दिया ।
कौवा – हम तो Mud Bath ले रहे हैं ।
कांटों में फेंका, तो बोला – कान छिदवा रहे हैं ।
खुश रहने का हालात से संबंध नहीं है, यदि हम चाहें तो हर हाल में खुश रह सकते हैं और यदि न चाहें तो किसी हाल में खुश न रहें ।
श्री लालमणी भाई
गोबर गिरकर, उठाते समय भी कुछ ना कुछ अपने साथ लेकर उठता है ।
श्री सौरभ जैन – नोयड़ा
हम उठने की चाह तो रखते हैं फिर गुणों को ग्रहण क्यों नहीं कर पाते !!
इसीलिये उठने के नाम पर गिर रहे हैं।
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