जो मानता स्वंय को सबसे बड़ा है,
वह धर्म से अभी बहुत दूर खड़ा है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
Human of modern age has learnt….
To fly in air like Birds,
To swim in water like Fish,
But unfortunately forgot to walk on Earth like Human.
(Dr. B.K.D. Jain)
जिन्हें सपने देखना अच्छा लगता है, उन्हें रात छोटी लगती है ।
और
जिन्हें सपने पूरे करना अच्छा लगता है, उन्हें दिन छोटा लगता है ।
(धर्मेंद्र)
यदि आप दूसरों को “टेका” (सहारा) न दे सकें तो कोई बात नहीं,
लेकिन “टीका” (निंदा) तो न करें ।
लोभ अदॄष्य पिंजरा है,
इसमें एक बार फंसे तो हमेशा के लिये कैद हो जाओगे ।
मान शरीर का भोजन है,
अपमान आत्मा का ।
संसार सागर के किनारे कभी मिलते नहीं है ।
चिंतन
अपने आपको हम आनंद में नहीं रख पाते,
तब दूसरों को आनंदित कैसे कर सकते हैं ।
चिंतन
किसी को पाने के लिये हमारी सारी खूबियां भी कम पड़ जाती हैं….!!
पर ये भी सच है –
किसी को खोने के लिये एक कमी ही काफी है ।
(धर्मेंद्र)
दूध पी लेने के बाद कुल्लड़ को फेंकते ही नहीं, जमीन पर जोर से मारते हैं और उसके टूटने की आवाज़ से खुश होते हैं ।
डा. पी. एन. जैन
बोलो तब तक, जब तक कोई ये न कहने लगे कि बस बंद करो ।
बैठो ऐसी जगह कि कोई उठने को न कहे ।
(शशि)
गर्व में सिर्फ घमंड़ है,
गौरव में घमंड़ तथा आनंद है ।
पं रतनलाल बैनाड़ा जी
‘E G O’ (EVIL GOING ON)
Is the only requirement to destroy any relationship.
So be the bigger person,
Skip the “E” and let it “GO”
(Miss. Ruchi)
अच्छा इंसान फूल की तरह होता है,
जिसे हम छोड़ भी नहीं सकते और तोड़ भी नहीं सकते,
तोड़ दिया तो मुरझा जायेगा और छोड़ दिया तो कोई और ले जायेगा ।
(ड़ा. अमित)
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