बाहर के झगड़े एक अवतारी होते हैं, लेकिन भीतर के बहुत जन्मों तक चलते हैं ।
ख़ुदा बनना है, तो ‘खुद’ को पहचानो ।
A man can’t be perfect, but a team can be perfect.
(Mr. Gaurav)
पतंग को इतनी ढ़ील मत दो कि वह बहुत दूर चली जाये,
वापस आने में बहुत देर हो जाये,
या अटक जाये/टूट जाये,
और कभी वापस न आ पाये!
चिंतन
चमत्कार को नमस्कार नहीं,
पर नमस्कार (समर्पण) करने के बाद चमत्कार होने लगते हैं ।
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
मोह पुण्य को पाप में परिवर्तित कर देता है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(पुण्य से जो पुत्र आदि मिले हैं, उनसे मोह करके पाप ही तो अर्जित कर रहे हो !)
आग जले, धुंआ न उठे;
पानी बरसे , कीचड़ न हो;
कर्म करें मगर अहं से न भरें ।
आचार्य श्री पुष्पदंतसागर जी
घड़ी टिक-टिक करके हर क्षण यह याद दिलाती है कि टिक (जीवन में स्थिरता ला) |
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
एक ऐसी चीज जो तुम्हारे पास नहीं होने के बाद भी,
उसे तुम दूसरों को दे सकते हो ।
(श्री संजय)
Going in to the UNKNOWN,
makes you expand what is KNOWN.
(Toshita)
शब्दों में वज़न होता है,
भाव उनमें जान ड़ालते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
हम तो वंदन में भी बंधन रखते हैं ,
समय का/घर जल्दी लौटने का ।
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
Live well and happily in this world…
It’s the best revenge to those who have cheated you and avoided in their life.
(Mr. Dhermendra)
जब तक प्रीती (मोह) और भीती (भय) रहती है,
तब तक प्रगति नहीं हो सकती है ।
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