तिरस्कार को यदि सही परपेक्ष में लिया जाए, तो वह प्रेरणाश्रोत बन जाता है ।
तुलसीदास जी की पत्नी का तिरस्कार ही उनकी महानता में निमित्त बना ।

श्री सुनील जैन- दिल्ली

एक शेर को अपना मंत्री नियुक्त करना था,
उसने सब जानवरों को बुला कर पूँछा – मेरे मुँह से कैसी गंध आती है ?
गधे ने सूँघा और कहा – दुर्गंध आ रही है ।
गीदड़ ने कहा – सुगंध आ रही है ।
सियार ने कहा – मुझे तो ज़ुकाम हो रहा है ।

सियार का चयन हो गया ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Balance बिगड़ते ही आप गिरते हैं ना ?

जीवन में भी यदि हम dis-balance हो जायेंगे, जैसे सिर्फ काम ही काम करते रहें, परिवार को ना देखें, धर्म ना करें आदि ।

तो हम भी गिरेंगे ना ?
सेहत से, बच्चों का downfall, घर में झगड़े आदि ।

चिंतन

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