पूज्यों की पूजा,
पुजारी बनकर(भिखारी बनकर नहीं),
पूज्य बनने के लिये ।

मुनि श्री उत्तम सागर जी

मशाल बनें, जो स्वंय प्रकाशित होती है तथा दूसरों को भी प्रकाशित करती है ।
कम से कम, गीली लकड़ी ना बनें जो खुद भी प्रकाशित नहीं हो पाती और दूसरों की आंखों में प्रकाश की जगह धुंआ देती है ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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