दुकान खोलते हैं ताकि ग्राहक ज्यादा आयें/फायदा ज्यादा हो ।
पूजापाठ क्यों करते हैं ?
भगवान बनने के लिये या श्रीमान बनने के लिये ?
आचार्य श्री विद्यासागर जी
Be soft and cool like water.
So, you can adjust anywhere in life.
Be hard and attractive like Diamond.
So, no one can play with your Emotions.
(Sri Sanjay)
पूज्यों की पूजा,
पुजारी बनकर(भिखारी बनकर नहीं),
पूज्य बनने के लिये ।
मुनि श्री उत्तम सागर जी
कैसी विडंम्बना है !
अचेतन को हम चेतन के सुख-दुःख का कारण मानते हैं !!
जैसे कार से सुख , न होने पर दुःख ।
मशाल बनें, जो स्वंय प्रकाशित होती है तथा दूसरों को भी प्रकाशित करती है ।
कम से कम, गीली लकड़ी ना बनें जो खुद भी प्रकाशित नहीं हो पाती और दूसरों की आंखों में प्रकाश की जगह धुंआ देती है ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
When we focus on problems, we’ll have more problems….
When we focus on solutions, we’ll have more opportunities.
(Dr. S.M.Jain)
अधर्म – बदला लेना ।
धर्म – बदल लेना , अपने आप को ।
संसार में रहो , पर रमण करो अपने में ।
If Problem has no solution,
it may not be a Problem,
but a fact,
not to be solved,
but to be coped up with.
(धर्म-ध्यान बढायें)
टूटे हुये कप से भी चाय तो पी जा सकती है ।
घट(शरीर) के घात से दीपक(ज्योति/आत्मा) का नाश नहीं होता ।
भग = ज्ञान
वान = वाला
हमारी संस्कृति कहती है –
संसार से भागो मत और संसार को भोगो मत, बस जागो ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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