रागी – तू नहीं मिला तो जान दे दूंगा ।
वीतरागी – तू नहीं मिला तो जान जाने पर तुझ जैसा बन जाउंगा/तुझ में मिल जाउंगा ।

चिंतन

घर का मुखिया मुख की तरह होना चाहिए ।
मुख खाना खाकर शरीर (परिवार/समाज) के सब अंगों तक बिना भेदभाव के पहुँचाता है ।

मुनि श्री निर्णयसागर जी

प्रैस किये हुये कपड़ों पर थोड़ी देर में ही सलवटें पड़ जाती हैं ।
युवा शरीर पर भी झुर्रियाँ पड़ती ही हैं ।

फिर इस शरीर की देखभाल करने में इतना समय क्यों बरबाद करते रहते हैं !!

चिंतन

कुत्तों के पास से कार गुजरते ही वो उसके पीछे दौड़ने लगते हैं और भौंकते हैं ।
क्या सोचते होंगे वे कुत्ते ?
गाड़ी को रोक कर उसके मालिक बन जायेंगे ?
गाड़ी को चलायेंगे ?

नहीं वो तो सिर्फ पीछा करते हैं, ना कभी मालिक बनेंगे और ना वो गाड़ी कभी उन्हें सुख दे पायेगी ।

( Dr P. N. Jain)

सांसारिक सुख भी ऐसा ही है, पूरी दम लगा कर हम उसके पीछे दौड़ रहे हैं, ना वह कभी हमारे हाथ आयेगा और ना ही हम को सुख शांति दे पायेगा ।

स्वतंत्रता, विदेशियों से मुक्ति पाने में,
पूर्ण स्वतंत्रता, आंतरिक कमजोरियों से मुक्ति पाने में ।

विदेशियों से घ्रणा करके उनको दूर कर दिया,
पर देश से प्रेम करना नहीं सीख पाये ।

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728