भगवान जब हर जगह विद्यमान है तो मंदिर जाने की क्या जरूरत ?
हवा जब हर जगह है तो टायर में हवा भरवाने के लिये पंप स्टेशन जाने की क्या जरूरत ?
क्योंकि हर जगह हवा का concentration नहीं होता, इसलिये पंप स्टेशन पर ही जाना होता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Some can make you cry and give you tears.
Many can make you laugh and give you smiles.
But only few can give you “Laughing tears” & “Crying smiles”.
(Mr. Sanjay)
बुद्धि के औजार से ज़िंदगी सुलझती नहीं है और उलझ जाती है ।
ज़िंदगी सुलझती तो शुभ कर्मों से ही है ।
सुश्री श्रद्धा
रागी – तू नहीं मिला तो जान दे दूंगा ।
वीतरागी – तू नहीं मिला तो जान जाने पर तुझ जैसा बन जाउंगा/तुझ में मिल जाउंगा ।
चिंतन
Anger makes us small than what we are,
And forgiveness makes us bigger than what we are not.
(Smt. Shuchi)
घर का मुखिया मुख की तरह होना चाहिए ।
मुख खाना खाकर शरीर (परिवार/समाज) के सब अंगों तक बिना भेदभाव के पहुँचाता है ।
मुनि श्री निर्णयसागर जी
प्रैस किये हुये कपड़ों पर थोड़ी देर में ही सलवटें पड़ जाती हैं ।
युवा शरीर पर भी झुर्रियाँ पड़ती ही हैं ।
फिर इस शरीर की देखभाल करने में इतना समय क्यों बरबाद करते रहते हैं !!
चिंतन
Just two rules to enjoy peaceful life –
Failure should never go to heart,
&
Success should never go to head..!!
(Dr. Sudheer)
शीश की सार्थकता तो गुरूजनों से आशीष लेने में ही है ।
आर्यिका श्री सौभाग्यमति माताजी
कुत्तों के पास से कार गुजरते ही वो उसके पीछे दौड़ने लगते हैं और भौंकते हैं ।
क्या सोचते होंगे वे कुत्ते ?
गाड़ी को रोक कर उसके मालिक बन जायेंगे ?
गाड़ी को चलायेंगे ?
नहीं वो तो सिर्फ पीछा करते हैं, ना कभी मालिक बनेंगे और ना वो गाड़ी कभी उन्हें सुख दे पायेगी ।
( Dr P. N. Jain)
सांसारिक सुख भी ऐसा ही है, पूरी दम लगा कर हम उसके पीछे दौड़ रहे हैं, ना वह कभी हमारे हाथ आयेगा और ना ही हम को सुख शांति दे पायेगा ।
स्वतंत्रता, विदेशियों से मुक्ति पाने में,
पूर्ण स्वतंत्रता, आंतरिक कमजोरियों से मुक्ति पाने में ।
विदेशियों से घ्रणा करके उनको दूर कर दिया,
पर देश से प्रेम करना नहीं सीख पाये ।
‘दया’ का उल्टा ‘याद’ है,
याद रखने के लिये, बच्चों का नाम ‘दया’ रख लें ।
आर्यिका श्री सौभाग्यमति माताजी
योग यानि जोड़,
किसका ?
शरीर और आत्मा का,
जब भी ये दोनों मिलेंगे, योग होगा, कर्म बंधेंगे चाहे वे भगवान ही क्यों न हों ।
चिन्तन-श्री लालमणी भाई
I don’t have time to hate people, who hate me.
Because I am too busy in loving people, who love me.
(Smt. Shuchi)
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