Happiness always looks small if you hold it in your hands.
But when you learn to share it,
you will realize how big and precious it is.

(Mrs. Shuchi)

अपना शरीर ‘पर’ है,
शरीर से संबधित/जन्म लिये बच्चे पर से भी परे हैं ।
बच्चों के बच्चे तो कितने परे हैं/ कितनी Generations/पीढ़ियां दूर हैं ?

कब तक अपने को भूल कर पर के पीछे लगे रहोगे ??

चिंतन

श्रद्धा बेशक और बेतर्क होनी चाहिये,
श्रद्धा की ज्योति अपनी ही सांसों से बुझती है,
अहंकार से श्रद्धा गिर जाती है,
अहंकार और स्वाभिमान छोड़कर, हमको निरभिमान पर पहुँचना है,
सही स्थान पर श्रद्धा हमारे उत्थान में कारण और खोटे स्थान पर अवनति का कारण है ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

कोई ख्वाईशों की चाह में रोया,
तो कोई दु:खों की पनाह में रोया,

अजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी का ,

कोई विश्वास के लिये रोया,
और कोई विश्वास करके रोया ।

(श्री संजय)

नववर्ष में हम सब की कमजोरियां कमजोर हों,
और मजबूतियां मजबूत हों ।

चिंतन

New year is God’s way of saying 1 more time.
Go live life, touch one’s heart, encourage one’s mind, inspire one’s soul and enjoy the day and the year.

Mr. Ashutosh, Puja, Kamakshi & Rudraksh

Successful person means how many lives are better because of him.
Be successful in 2012

Mr. Vaibhav Bajaj – Ahmedabad

Happy New Year 2012
May we build INDIA once again ‘सोने की चिड़िया’.
We wish everyday be prosperous for us in 2012.

श्री प्रमोद शाह – जयपुर

पूजा/भक्ति राह* से करोगे तो,
राह** मिल जायेगी ।
*स्वर                                                                                                                                                             **मोक्षमार्ग

चिंतन

दो बच्चे देर से स्कूल पहुँचे, शिक्षक के देर से आने का कारण पूछने पर एक बच्चे ने बताया कि –
उसका 1 रूपये का सिक्का खो गया था, उसे खोजने में देरी हो गई ।
दूसरे ने बताया –
इसके सिक्के के ऊपर मैं पैर रखकर खड़ा था और जब वो वहाँ से हटा , तब वह सिक्का उठाकर मैं यहाँ देरी से पहुँचा ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

हम सब की मोक्ष जाने में देरी इन्ही कारणों से हो रही है ।
कोई परिग्रह को खोजने में लगा है,
कोई दूसरे की परिग्रह को हड़पने में ।

ठंड़ी हवा के लिये खिड़की खोलोगे तो , मक्खी मच्छर तो आयेंगे ही ।

श्री सौरभ जैन – नोयड़ा

(जमाने की सुहावनी हवा लोगे, तो समाज में फैली विकृतियां आयेंगी ही )

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