धर्म बदौलत ही संसार की दौलत है ।

झींगुर उल्टा पड़ा हो तो बहुत पुरूषार्थ करने पर भी सीधा नहीं हो पाता ।
जरा सा निमित्त मिल जाये, ज़रा से सहारे से सीधा होकर भाग जाता है, अपने बिल में घुस जाता है ।

चिंतन

पूज्यों/बड़ों/गुणवानों के चरणों में सिर झुकाने की परम्परा इसलिये है क्योंकि अपने यहाँ चारित्र की प्रमुखता है ।
चरण आचरण के प्रतीक होते हैं, सिर ज्ञान का प्रतीक है ।
ज्ञान को चारित्र के आगे झुकाने की परम्परा  है ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

शरीर मिट्टी का ही तो बना है ।
यह मिट्टी जमाने की हवा लगकर सूख जाती है ।
तब सत्संग के छीटें मार लें, वरना यह पात्र बनने के लायक नहीं रहेगी और हम किसी की तथा अपनी प्यास भी नहीं बुझा पायेंगे ।

चिंतन

इंसान मौत से बचने की कोशिश करता है परन्तु नरक से बचने की नहीं,
जबकि हकीकत ये है कि कोशिश करने से इंसान नरक से तो बच सकता है पर मौत से नहीं ।

(धर्मेंद्र)

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728